Prem Ane Dosti Na Chakkar Ma Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
![]() |
Prem Ane Dosti Na Chakkar Ma Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia |
प्रेम अने दोस्ती वच्चेनां चक्करमां
ए घणी वार मने मळीने पण ना मळती होय एवुं लागे छे
आ समजदार स्त्रीओनी एक तकलीफ होय छे
जोके ए बधा पुरुषोनां नजरमां आ वात आवी शकती नथी
पुरुष वधुं पडतो प्रेम जतावे तो आ समजदार स्त्रीओ
पुरुषनां बाळकवेळा गणी ले छे
अने प्रेममां जरा ओछप लागे तो ए समजदार स्त्री
पुरुषने कहे छे के,”तमे कदी स्त्रीना दिलनी वातने नही समजी शको.”
ज्यां सुधी दोस्ती हती,त्यां सुधी एक लक्ष्मणरेखानी अंदर रहीने
हुं एने मळतो हतो खुल्ला दिलथी….
स्त्री के पुरुष जातनो भेद राख्या वगर एक मित्र तरीके
एने हमेशां खूश राखवानो प्रयत्न करतो हतो
अने ए हमेशां खूश खूशाल रहेती हती
अने कहेती हती
“स्त्री-पुरुषने समजवा माटे बंने वच्चे प्रेम होवो जरूरी नथी”
अचानक बेमांथी कोइने समजायुं नही अमें बंने एक बीजाने
प्रेममां पडी गयां
हवे अमे मळीए छीए त्यारे घणी असंजश होय छे…
मोटे भागे एनी बाजु वधुं होय छे
हुं हमेशां एक प्रेमीनी जेम एनी साथे वर्तन करूं छुं
ए इच्छे छे के क्यारेक हुं दोस्तनी जेम मळुं तो
क्यारेक एक प्रेमनी जेम एने ट्रीट करूं एवुं इच्छे छे
मने हमेशां ए कहे छे के”तुं दोस्त तरीके वधुं गमे छे.”
अने हुं कही शकतो नथी के “तुं मने प्रेमिका तरीके वधुं गमे छे.”
दोस्तीथी आगळ वध्यां पछी ए समजदार स्त्री बाळकवेडा करे छे
अने हुं एनां प्रेममां पडयां पछी वधुं समजदार थइ गयो
अने मारा प्रेममां समजदारी आवी गइ
-नरेश के.डॉडीया
Labels:
Gujarati Kavita
No comments:
Post a comment