सात कोठा लागणीना पार करवाथी ए मळे
शब्दना उंडा महासागरमा डुबवाथी ए मळे
पास आवे छे मुसीबत यादना नामे आंखमां
रातना सपनाओना रण रोज वटवाथी ए मळे
प्यार साथे जो अपेक्षा होय तो एनी छे मजा
मांगणीमां लागणीनां रग चडवाथी ए मळे
एकलोता प्यारनी वारस बनी छे ए ज्यारथी
आंखमां एकांतनो अग्नि प्रगटवाथी ए मळे
कोइ सुंदरने सुंगंधी श्वासमा जे हिलचाल छे
सात दरियापारनी खूश्बू रगडवाथी ए मळे
मेघधनु आकारमां लेटी हशे पाथरणामा ए
कोइ यक्ष कन्याना कल्पनमा भमवाथी ए मळे
आयखानुं आ तरसनुं रण सतत वधतुं जाय छे
यादनी पाछोतरी मौसमने छळवाथी ए मळे
आ महोतरमाए एवो जादु मारा पर शुं कर्यो
जे पळे छूट्टी पडी ए पळ समरवाथी ए मळे
-नरेश के.डॉडीया
www.nareshkdodia.com
No comments:
Post a comment