Chatak Sami Mari Taras NI Raah Che Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
![]() |
Chatak Sami Mari Taras NI Raah Che Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia |
चातक समी मारी तरसनी राह छे
ने जोजनो आधे नदीनो घाट छे
तारी शरत मूजब हु वर्तुं छुं छता
कायमनो तारो एक धारो दाब छे
भाषा समजमा आववानी वार छे
भीतर नदी साथे नवो संवाद छे
मारी खबर लेवानी तस्दी लो जरां
तारा विना दिलमा सूनो धबकार छे
सुंदरता तारी कायमी ओळख बनी
ने त्यारथी मारी गझलमां ठाठ छे
हुं कायमी ठेकाणु आपुं छुं छतां
तारा हदय वच्चे छुपो आवास छे
अधिकार तुं जे भोगवे छे कायमी
दोरी विना बांधी शके ए गांठ छे
तारी ज मनमानी चलावी छे सतत
लाचार शायरनी छुपी रजुआत छे
तुं रोज नखरा पण नवा करती रहे
तारी अदामां वीजळीनी नात छे
तुं एटले फावी “महोतरमा” सदा
मारा उपर तारी दयानो हाथ छे
-नरेश के.डॉडीया
Labels:
Gujarati Gazals
No comments:
Post a comment