Ishwar Na Banavela Rasta Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
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Ishwar Na Banavela Rasta Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia |
दूर क्षितिजनां बंने छेडे वहेली सवारे
सूर्यने उगतां जोंउ छुं अने
चंद्रने आथमतां जोंउ छु
आज रीते सांजे क्षितिजना बने छेडे
सूर्यने ढळतां जोंउ छे अने
चंद्रने उगतां जोंउ छुं
त्यारे एक ज विचार आवे छे
कुदरतने पण जेनां विनां दुनियाना
लोकोनो दिवस अने रात नथी पडतां
एवां चंद्र अने सूरजने एनी फर्जने
कारणे भेगा थवां देवानुं मंजुर नथी
ए ज रीते आ कुदरते पण आपणा
बंने माटे आवुं ज कंइक विचार्युं होवुं जोइए
एटले ज मने हमेशां लागे छे.
इश्वरनां बनावेला रस्ताओ जेने मळवानी
पारावार झंखनां रहेती होय एनांथी दूर
रहेवां माटे बनावेला होय छे..
-नरेश के.डॉडीया
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Gujarati Kavita
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