Sambandh Na VIshwa Ma Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
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Sambandh Na VIshwa Ma Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia |
संबंधना विश्वमा ज्यारथी तारो हाथ जाल्यो छे
बस तारी ज समजण पाछळ चालतो गयो हुं
एक वात समजमा आवी छे
तारी स्नेहाळ मावजतमा
जे सतत मांगता रहे छे
ए लोको संबंधमां
उपर उपर मुसाफरी करीने पाछा फरे छे
अने जे कदी कशुं कदी मांगता नथी एने
एने अंदर सुधी जवानो अधिकार
आपमेळे मळी जाय छे
अने मांग्या विना जे कल्पना ना करी होय
एवी जणस मळी जाय छे..
आंखोनी पंसद होय एवा सौंदर्यनी
जगतमां कतारो लागी होय छे
ज्यारे ह्रदयने पसंद होय एवुं सौंदर्य
तो दिलथी जोइने विचारनाराने मळे छे
आजे अभिमान पूर्वक कही शकु के
"महोतरमां",तु मारा ह्रदयनी पंसंद छे
मारू ह्रदयस्थ जीवन काव्य
-नरेश के.डॉडीया
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Gujarati Kavita
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