Shaba Mara Dhir Ne Gambhir Thata Jai Che Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
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Shaba Mara Dhir Ne Gambhir Thata Jai Che Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia |
शब्द मारा धीर ने गंभीर थाता जाय छे
मौन धारण होय तो मुखबीर थाता जाय छे
आम तो कोइने भजवानुं शब्दने गमतुं नथी
नाम तारूं जोइ ए तकरीर थाता जाय छे
क्ही शकीए ना धणुं,ए शब्दमां क्हुं छुं हवे
भेद तारा खोलवा अक्सीर थाता जाय छे
आंख मळतां कोइ काळे प्रेम कै थातो नथी
भेद दिलनो खोलवा ए तीर थातां जाय छे
प्रीतनी एनी असरथी मुक्त थइ शकतो नथी
काव्य गझलो कोइनी जागीर थाता जाय छे
रोज गझलो काव्य लखवाथी नथी मारी कै मोथ
आज कलनां शायरो पण मीर थातां जाय छे
गोळ चक्कर जेम संबंधोमा सौं फरतां मळे
आखरे गमतुं मळे त्यां स्थिर थाता जाय छे
बस “महोतरमा” हवे तो मनसुफी तुं बंध कर
आंखना सपना नदीनां नीर थाता जाय छे
-नरेश के.डॉडीया
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Gujarati Gazals
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