Gazal Priya Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
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Gazal Priya Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia |
लय,छंद,ताल,सूर,रदीफ,काफिया!!
अरे…!!!
आ बधुं शुं छे कविराज!
हुं तो आ कशुं ना जाणुं…
हुं तो बस एटलुं जाणुं…
गझल!!!
जेनी दिवानी छुं,
कोण लखे छे गझल ?
कोण गझलकार छे?
एनी मने कशी खबर नथी
हुं तो दिवानी छुं गझलनी
दिवानी गझलप्रिया
वांचीने झुमु छु
तो क्यारेक झूरू छुं
वेदनाने अनूभवुं छुं
उर्मिओने उछाळुं छुं
तने याद छे???
मारा माटे लखेली पहेली गझल
ए गझलना शब्दो मारा रोमेरोमेमां
आजे फूलोनी जेम महेकी रह्यां छे
एक सुफी सरीखी दिवानी थइने
गझलनां शब्दोने सलाम करूं छुं
मारा झूरापानो सहारो बने छे
तारी गझल
मारी विरहने वेदनाने शीतळ
स्पर्श बने छे तारी गझल
जिंदगीनां बे विभागोने सरखा
हिस्से न्याय आपे छे तारी गझल
मारा जिंदगीना अभिन्न हिस्साने
में कोचलांमां बंध राख्युं हतुं…
तारा शब्दोनां वारमवार पडतां
टकोराए ए कोचलांथी मने बहार तो काढी
पण
एक व्यकितनां ते बे हिस्सा करी नांख्यां
एक ज ह्रदयथी केवी रीते
बे व्यकित बनी हुं केवी रीते जीवी शकुं??
दिवानगीनी आवी भारी किंमत चुकववी पडे?
सुफी जेम सनमने सजदा करनारा
बधां बंदा होय ए जरूरी नथी
कोइ मारा जेवी दिवानी होय छे
दिवानी!!!!
तारी गझलप्रिया
(नरेश के.डॉडीया
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