Nadi Ae Dariya Ne Kahyu Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
![]() |
Nadi Ae Dariya Ne Kahyu Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia |
नदी ए दरीयाने कह्युं
हुं तारी ज हती
तारा माटे ज मारूं सर्जन थयुं छे
अने तारामां ज रहेवानी छुं
भर बपोरे तारा महेनतना पसीनानी
खाराश ते आकाशने आपी
आकाशे तेनो बदलो आपवा
वादळॉनुं सर्जन कर्युं
वादळोए आकाश अने तारा
अहेसानने बदले पाणी वर्षाव्यु
पिता पर्वते ए पाणीनो
बदलो चुकाववा मारुं सर्जन कर्यु
पाछी ना वळवानी शरते मने
पथ्थरोना कठीन रस्ते विदाइ करी
पथराळ रस्ते अथडाटी कुटाती
तारा मिलन काजे दर दर भटकी
वहेता वहेता मानव समुदायनी
गंदकीने साफ राखी छता पवित्र रही
तारी चाहने माटे मेदानी इलाकामां
उंछाछळा स्वभावने भूलीने मध्यानी जेम वर्ती
कंइक नाळाओ,वोकळाओनी छेडछाडनी
भोग बनीने हुं तारा मार्गे वहेती रही
हें मारा सागरदेव!
भले तारामां खाराश भरेली होय
तो पण हुं तारा माटे मारी
मिठाश कुरबान करवा तैयार छुं
हे मारा सागरदेव!
तारा सिवाय हवे मारुं कोण धणी थशे?
मने तारामां समाववी ज पडशे
आखरे तो हुं तारा पसिनानी
ज साची कमाणी छुं
मने खबर छे पसिनानी कमाणीने
जीवनी साचववी पडे छे
(नरेश के.डॉडीया)
Labels:
Gujarati Kavita
No comments:
Post a comment