Vasti Ganatari Jem Tari Yaad Vadhti Jai Che Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
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Vasti Ganatari Jem Tari Yaad Vadhti Jai Che Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia |
वस्ती गणतरी जेम तारी याद वधती जाय छे
ने गीचतां उर्मिओ मारा दिलमां करती जाय छे
सारी मुसीबतनी बनी छे जड सहीयारी दूरी
शब्दोना देहे कायमी तुं मुजने अडती जाय छे
सहवाश तारो जोइए छे आखनी सामे छतां
नजदीकतां हुं जेम चाहुं एम हटती जाय छे
मोटा उपाडे शब्दनो लइ आशरो मळतो हतो
तुं मौननो लइ आशरो शब्दोने वढती जाय छे
लागे छे ऊपरवासमां वरसाद जेवुं कै हशे?
घरती जुवोने एकधारी रोज घगती जाय छे
यादो अडींगो आंखमां केवो जमावी गइ छे यार
तारा ज नामे काव्य गझलो रोज लखती जाय छे
जीवनमां माणस एकने चाही जवानी नेम लइ
कायम अगोचर क्षण समी तुं मनमां रमती जाय छे
बस कर महोतरमां अहीया श्वास रूंधांइ छे रोज
तारा अबोलांथी ह्रदयमां आग जलती जाय छे
-नरेश के.डॉडीया
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