अमारी आखथी आधे तमे वसता रहो छो Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
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अमारी आखथी आधे तमे वसता रहो छो Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia |
अमारी आखथी आधे तमे वसता रहो छो
ने पूछो छो अमारी यादमां रडता रहो छो?
अमे चाहतनी वातो शब्दमा एवी उतारी
गझल मारी छता पण आप चर्चाता रहो छो
सहन करतो रहु छुं रोज मनमानी तमारी
ने मळवानु कहुं तो दूरथी छळता रहो छो
मळ्या छॉ आप पण केवी धडी ए केम बोलुं?
शुकन के अपशुकननी धातथी बचतां रहो छो
खबर छे भलभली ललनानी लालचने भूली छे
छता मारा उपर प्हेरो सतत भरता रहो छो
तमारी यादनी मौसम तो बारे मास छलके
गझलना शब्दमा फूलो रूपे उगता रहो छो
अमे अरमानने आठो प्रहर आपी खुमारी
ने कारतकथी तमे आंसो सुधी गमता रहो छो
तमारा प्यारनुं अभिमान छे तो छे अमोने
‘महोतरमा’सतत ए प्यारमां पलतां रहो छो
-नरेश के.डॉडीया
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