बराबर याद छे मने, Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
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बराबर याद छे मने, Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia |
बराबर याद छे मने,
तने मळ्या पछी पहेलीवार मने
मारुं व्हालसोयु एकांत मळ्युं छे,
पण आ एकलता..!!!!…
ए तो तने मळ्या पहेला
‘एकलता’शब्दनो अर्थ के,
एने में एने भोगवी नहोतीआजे तुं घणो दुर!घणॉ दुर छो
मानसिक रीते,
शारीरिक रीते,
बस!ताराथी आ दुरी सहन ना थइ शके
एवी परिस्थितीने कदाच
‘एकलता’कहेता हशे!
शु प्रेम करवो एक बीजाने पामीने
सदा निकट रहेवुं,जरूरी होतुं हशे?
जो निकट के दूर रहेवाथी पण आ
‘एकलता’नामना अभिशापने दूर करी शकाय तो!!??
तो ज कदाच पूर्णतः प्रेम कही शकाइ
‘एकलता’प्रेमने टुकडाओमां बाटी शके छे
शरीर,मन,अने मगजने त्रण हिस्सामां बाटी शके छे.
मने’एकलता’शा माटे वसमी लागे छे
तने कहुं.?
एक समय हतो,त्यारे
त्यारे तुं आखो दीवस मारा माटे
स्मितनां टुकडाओने विणवा नीकळी पडतो हतो
जेम बस स्टेन्डनी आसपास खंबे कोथळॉ राखीने
कचरामांथी पोताने कामनी वस्तुंओ शोधतो बाळक होय एम!
तुं पण पारावार,जोखमी अने कचरा जेवी दुनियामांथी
मारा माटे स्मितनां टुकडा आखो दिवस भेगा करतो
अने
तो सवारे मोबाइलना एस.एम.एस.मां
तारी लखेली गझलो अने कविताओमां
ऍ स्मितनां टुकडाओने मारा माटे सजावतो हतो
अने आजे!
हुं एकली छुं
तुं एकलो छे
छतां पण जिवीये छीए
स्मितनां टुकडा विनांना
बे अधुरा माणसो
जे क्यारेक बे मळीने एकनो सरवाळॉ थतो
अने संबधोने गणितने अर्थपूर्ण बनावता हतां
तारी झंखनाओनो गुंजारव थतो रहे छे
ए मने संभळाय छे पण
पण,
हुं प्रतिक्रिया नथी आपी शकती
पारावार एकलताना बोज नीचे
संवेदना दबाइ गयेली अवस्थामां
छेल्ला श्वास लइ रही छे
- नरेश के.डॉडीया
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