घर, गाम, खेतरने मूकीने श्हेरमां छोने वस्या Gujrati Gazal By Naresh K. Dodia
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घर, गाम, खेतरने मूकीने श्हेरमां छोने वस्या Gujrati Gazal By Naresh K. Dodia |
घर, गाम, खेतरने मूकीने श्हेरमां छोने वस्या
कोयलना टहुकाओ पूछे छे केटलुं आजे हस्या?
आंखे कसुंबल केफ लइने डायरानी मोजमां
प्हो फाटवानी आखरी क्षणमां तमे कैं खळभळ्या?
आंबानी डाळे झूलती मेनानो टहुको सांभळी
पिंजरमां पूरायेल पोपट थई कदी थोडुं रड्या?
ए तळपदी भाषा भले बोले तो मीठी लागशे
यायावरी पंखीना टहुकाने कदी बोलो कळ्या?
माथा उपर बेडाओ लईने पादरे मळती रहे
एवी ‘महोतरमा’ समी को’ नारने क्यारे मळ्या?
- नरेश के. डॉडीया
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Gujarati Gazals
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