फरीथी प्रेममा तारा ज पडवानुं मने मन थाय छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
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फरीथी प्रेममा तारा ज पडवानुं मने मन थाय छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia |
फरीथी प्रेममा तारा ज पडवानुं मने मन थाय छे
फरीथी काव्य गझलो रोज लखवानुं मने मन थाय छे
वितेली पळमा मारुं मन सतत अटवाय शाने जाय छे?
फरी पाछोतरी यादोमां फरवानुं मने मन थाय छे
विरहमां रोज तडवानुं मने गमतुं हतुं ए दोरमां
फरीथी रातना पडखाओ घसवानुं मने मन थाय छे
अधूरप होय छे त्यारे ज नव काव्यो रचाता होय छे
जुना झख्मो फरीथी केम खणवानुं मने मन थाय छे
तुं सहमत थाय तो रंगत सजावीए फरीथी शब्द संग
फरीथी शब्द साथीदार बनवानुं मने मन थाय छे
तूटेली नावना छीद्रो फरी सांधीने दरियो खुंदशुं
डुबी जावानी आशामां ज तरवानुं मने मन थाय छे
फूटेली जेमनी तकदीर छे एने डरावो ना कदी
फूलो थइ पानखरमां रोज उगवानुं मने मन थाय छे
फरी मारी कमीनुं सत तने चडशे वचन आपुं छुं हुं
फरी तारी ज वातो दोहरावानुं मने मन थाय छे
महोतरमां हवे अश्रुओ तारी आंखमां जोतो नथी
फरी आंखोमां अश्रु थइने सरवानुं मने मन थाय छे
-नरेश के.डॉडीया
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