सफेदी की असरवाला वोह खुश्क चांद Hindi Kavita By Naresh K. Dodia
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सफेदी की असरवाला वोह खुश्क चांद Hindi Kavita By Naresh K. Dodia |
एक दोर ए वकत ऐसे गुजर गया है
जैसे हाथ मे रेत का सरक जाना
एक जवान चांद रोज खिलता रहेता था
थकी हारी आंखे को शकुन मिलता था
बडे खूबसूरत अंदाज से आसमान मे
रात भर उसके जलवे दिखाया करता था
आसमान भी उनको छोटा पडता था जब,
वोह सितारो की फौज लेके आता था
आयनो की हंसी भी छीन लेता ता वो,
जब जब आयने के सामने आता था
सजता संवरतां था ऐसे जैसे कोइ
जल्वा ए नूर की कोइ सौगाद हो
हुस्न का गुरुर आंखो मे लिये कंइ
शायरो का सरेआम कत्ल करता था
वकतने बडा कमबख्त बन के उस
चांद को अपनी लपेट मे ले लिया
वकत के चलते सितारो ने भी चांद का
साथ आहिस्ता आहिस्ता छोड दिया
सफेदी की असरवाला वोह खुश्क चांद
एक छोटे कमरे मे डुबने की कगार पर है
(नरेश के.डॉडीया)
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Hindi Kavita
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