हमारी चाहतो के दोर को फिर से शुरू करनां पडेगां Hindi Gazal By Naresh K. Dodia
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हमारी चाहतो के दोर को फिर से शुरू करनां पडेगां Hindi Gazal By Naresh K. Dodia |
हमारी चाहतो के दोर को फिर से शुरू करनां पडेगां
जहां से हम मुडे थे वोही राहो पे तुझे चलनां पडेगां
नही मिलती है तुम जैसी मुझे भी चाहनेवाली यहां पे
हजारो खूबसूरत च्हेरो के इल्झामात से लडनां पडेगां
हमारा आज भी उतनां ही पडता है असर किसी के दिल पे
हमारी इक नजर तुज पे पडे तो तुझ को भी हसनां पडेगां
जमाने से चली आती है वो रस्मो को हम दोनो भूला दे
नये सीरे से हमको इश्क की मिशाल नइ बनना पडेगां
तुम्हारी आज से मतलब मुजे है,कल जो था वो बित गया है
मुझे भी फिर से वो नजमे गजल जैसा नयां लिखनां पडेगा
नही रोतां है दीवारो से अब आशीक अपने सर पटक के
मे जितनां चाहुं उतनां ही तुम्हे चाहत मे बीखरनां पडेगां
महोतरमां तुम्हारी बात को कैसे मे समजुं तुम ही बोलो
तुम्हारे दिल की बातो को भी इश्तेहार सा लगनां पडेगां
-नरेश के.डॉडीया
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