इक हलफनांमां सरा-जाहेर आना चाहिए Hindi Gazal By Naresh K. Dodia
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इक हलफनांमां सरा-जाहेर आना चाहिए Hindi Gazal By Naresh K. Dodia |
इक हलफनांमां सरा-जाहेर आना चाहिए
आप मेरे हो हकीकत अब बताना चाहिए
आप शरमिंदा हमारे सामने ना हो कभी
एक रिश्ता है तरीके से निभाना चाहिए
सख्त नफरत है जूठे लोगों की जूठी बात से
तुम जमाने से जुदा हो ये दिखाना चाहिए
आप में से तू का भी बनना जरूरी हैं यहां
यह मुहोबत है तो अपनापन जगाना चाहिए
जब भी सीने में तेरे दर्द सा जगने लगे
बांह में मेरी तुम्हें आ कर समाना चाहिए
लुत्फ सब को इश्क़ में मिले जरूरी तो नहीं
शायरी करने के लिए दर्द आना चाहिए
हुस्नवालो से सभी को मिलना जुलनां हैपसंद
सब को कहो अंदाज इस मे शायरानां चाहिए
कयुं पीने वालो से सब नाराज रहते हैं यहां
यार दोस्तों जब मिले सब को पिलाना चाहिए
रोज रास्तां भूल के मिलने तुझे आता हुं यार
कयुं नही कहते तुम्हे घर अपने जाना चाहिए
दिल तो तूटा है मगर ये होंसला तो है बुलंद
ये महोतरमा के हाथो जूड जाना चाहिए
- नरेश के. डोडीया
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