दिल पे पत्थर रख के उस को अलविदा कहनां पडा Hindi Gazal By Naresh K. Dodia
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दिल पे पत्थर रख के उस को अलविदा कहनां पडा Hindi Gazal By Naresh K. Dodia |
दिल पे पत्थर रख के उस को अलविदा कहनां पडा
मुझ को उस पल से मुसलसल खुद से ही लडना पडा
मुझ को उस पल से मुसलसल खुद से ही लडना पडा
चांद की तौहीन करनां मुझ को भी थां ना पसंद
क्युं की उस की आंख का तारा मुझे बननां पडा
क्युं की उस की आंख का तारा मुझे बननां पडा
कोइ मेरा ना थां तब वो मेरी बन गइ इश्क में
इक समुंदर को नदी की राह में चलनां पडा
इक समुंदर को नदी की राह में चलनां पडा
दर्द क्यां होता है मालुंम था नही पहेले कभी
इश्क में मुझ को मुसलसल दर्द को सहनां पडा
इश्क में मुझ को मुसलसल दर्द को सहनां पडा
आंख मे मेरी नमी बढती थी जब मिलती नही
गम के उस आलम मे दोस्ताना मय से रखनां पडा
गम के उस आलम मे दोस्ताना मय से रखनां पडा
वो सदा-ए-गेब सी लगती थी उस की गुफ्तगुं
इक सुफी बन के मुझे हर बात पे झुकना पडा
इक सुफी बन के मुझे हर बात पे झुकना पडा
में तिजारत अपनी कर के मस्त रहतां थां कभी
इश्क मै आमीर से शायर मुझे बननां पडा
इश्क मै आमीर से शायर मुझे बननां पडा
उस “महोतरमा” से जाकर कोइ कह देनां ये बात
जब से तुं गइ रातो की रातो उसे जगना पडा
– नरेश के. डॉडीया
जब से तुं गइ रातो की रातो उसे जगना पडा
– नरेश के. डॉडीया
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