बरसो पूराना एक रीश्ता पल मे अफसाना हुआं Hindi Gazal By Naresh K. Dodia
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बरसो पूराना एक रीश्ता पल मे अफसाना हुआं Hindi Gazal By Naresh K. Dodia |
बरसो पूराना एक रीश्ता पल मे अफसाना हुआं
दरवाजे पे उसने पूछा कैसे यहां आना हुआं
अपने असुल को छोडकर चाहा तुम्हे उस दौर में
और मैं तेरे इश्क मे अपनो से बेगानां हुआं
जो जुर्म तुम से हो गयां उस की सजां मुझको मिली
मुझ पे तेरी खातिर गजल लिखने कां जुर्मानां हुआं
तेरे इसी अहसासने मुझ को रूलाया था कभी
तेरी जरूरत मुझ को थी तब क्युं तुम्हे जानां हुआं
मेरे तआल्लुक आज भी जिंदा नजर आते मुझे
जब यार दोस्तो मिलते है पीने से पीलानां हुआं
दुश्मन समजता था पूराने दोर मे जिस शख्स को
जब खुद को बदला तो नए सीरे से याराना हुआं
मेरी महोतरमां से मेरे इश्क कां नाता जुडा
तब से मुहोबत मे असर देखो सुफीयानां हुआं
– नरेश के. डॉडीया
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