ये जहन से याद अब निकल रही हैं Hindi Gazal By Naresh K. Dodia
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ये जहन से याद अब निकल रही हैं Hindi Gazal By Naresh K. Dodia |
ये जहन से याद अब निकल रही हैं
इश्क़ की कमजोर शाखा जल रही है
इश्क़ की कमजोर शाखा जल रही है
में जरूरत थां तुम्हारीं जिंदगी में
ये हकीतक आज तुंम को छल रही हैं
ये हकीतक आज तुंम को छल रही हैं
कोई दस्तक दिल पे अब देता नहीं है
इश्क़ के धंधे में मंदी चल रही हैं
इश्क़ के धंधे में मंदी चल रही हैं
मुझको सहरा का हिरन तुंमने बनाया
तुं भी बिन बरसे हुए बादल रही हैं
तुं भी बिन बरसे हुए बादल रही हैं
प्यास मेरी तुंम ने क्युं इतनी बढा दी
और तुं इक खाली सी बोतल रही है
और तुं इक खाली सी बोतल रही है
एक सौतन तेरी बन के वो आ गइ हैं
व्हीसकी तेरी जगह निगल रही हैं
व्हीसकी तेरी जगह निगल रही हैं
याद आता है पुरानां दोर मुझ को
क्यां करुं अब तुंम तो मेरी कल रही हैं
क्यां करुं अब तुंम तो मेरी कल रही हैं
अब महोतरमां अकेला हो गयां हुं
जिंदगी लगता हैं अब संभल रही है
– नरेश के.डोडीया
जिंदगी लगता हैं अब संभल रही है
– नरेश के.डोडीया
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