आपस में अब कोई गले मिलतां नही Hindi Gazal By Naresh K. Dodia
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आपस में अब कोई गले मिलतां नही Hindi Gazal By Naresh K. Dodia |
आपस में अब कोई गले मिलतां नही
माहोल दोस्ताना यहां दिखतां नही
नाकाम हो जाती है कुछ उम्मीद भी
कैसा खुदा है मेरी कुछ सुनतां नही
किस्सा अधुरा है अधुरा ही रहां
अच्छा है तेरे बारे में पूछतां नही
अब तंज करते लोग से शिकवां नहीं
लेकिन हमारा दिल अभी दूखतां नही
तितली का आना बंद है बरसो से कयुं
लगतां है दुप्प्टा तेरा अब उडतां नही
जैसे तुं म्हेफिल छोड गइ कुछ कहे बिनां
तेरी तरह कोइ यहां उठतां नही
नाकाम रिश्तो की कतारे देख के
लगता है दिल मे अब खुदां बसता नहीं
आओ महोतरमां गले मिलने मुझे
दिन इद का है दिल भी कही लगतां नहीं
- नरेश के.डॉडीया
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