शाम की तनहाइ मे तुं कयुं नही है Hindi Muktak By Naresh K. Dodia
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शाम की तनहाइ मे तुं कयुं नही है Hindi Muktak By Naresh K. Dodia |
शाम की तनहाइ मे तुं कयुं नही है
चाहनेवालो की किस्मत ही यही है
क्यां गलत है क्यां सही मालुम नही है
तुम कों चाहा तो लगा के सब सहीं है
- नरेश के. डॉडीया
Labels:
Muktak
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