अपनी किस्मत पे मुझे रोने की आदत नहीं हैं Hindi Gazal By Naresh K. Dodia
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अपनी किस्मत पे मुझे रोने की आदत नहीं हैं Hindi Gazal By Naresh K. Dodia |
अपनी किस्मत पे मुझे रोने की आदत नहीं हैं
जितनां तुंम को चाहतां हुं उतनी चाहत नहीं हैं
जितनां तुंम को चाहतां हुं उतनी चाहत नहीं हैं
ये सलाखे हैं अगर तुंम कों वहां रहनां हैं तो
कैद दिल में कर दुं तो उस की जमानत नहीं है
कैद दिल में कर दुं तो उस की जमानत नहीं है
अपनी फितरत छोड कर में चाहतां हुं तुम्हे आज
तुंम ये मत समझो के औरो की इनायत नही हैं
तुंम ये मत समझो के औरो की इनायत नही हैं
हमने माना खूबसूरत हो गुमां भीं हैं तुम को
आ मगर में चाहतां हुं वो नजाकत नहीं है
आ मगर में चाहतां हुं वो नजाकत नहीं है
आरजू इतनी है तुझसे में लिपट जांउ मिल कें
काम भी इतने पडे है मुझ को फुरसत नहीं है
काम भी इतने पडे है मुझ को फुरसत नहीं है
तुझ से सीखे चाहकर भी पास आने ना देनां
ठीक है मिलना नही तो ये कयामत नही हैं
ठीक है मिलना नही तो ये कयामत नही हैं
लाख कोशिश कर लो मेरी याद जालीम तो हैं
इश्क सच्चे दिल से करतां हुं हिमाकत नही हैं
इश्क सच्चे दिल से करतां हुं हिमाकत नही हैं
तुं कभी मेरी बराबर हो नहीं शकतां है कयुं?
शायरी मेरी इबादत है,तिजारत नहीं है
शायरी मेरी इबादत है,तिजारत नहीं है
ये महोतरमां से बिछडनां अब तो मुमकिन नहीं है
दिलसे निकलने की उस को अब इजाजत नही हैं
– नरेश के. डॉडीया
दिलसे निकलने की उस को अब इजाजत नही हैं
– नरेश के. डॉडीया
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