एहसास तुम को है मगर उतना नहीं Hindi Muktak By Naresh K. Dodia
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एहसास तुम को है मगर उतना नहीं Hindi Muktak By Naresh K. Dodia |
एहसास तुम को है मगर उतना नहीं
दरिया हूं मैं फिर भी तुम्हे डूबना नहीं
मैं चाहता हूँ रब से भी ज्यादा तुम्हें
ये फैसला रब का है तुम भूलना नहीं
- नरेश के. डोडीया
Labels:
Muktak
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