अपनी किस्मत पे मुझे रोने की आदत नहीं हैं Hindi Muktak By Naresh K. Dodia
![]() |
अपनी किस्मत पे मुझे रोने की आदत नहीं हैं Hindi Muktak By Naresh K. Dodia |
अपनी किस्मत पे मुझे रोने की आदत नहीं हैं
जितनां तुंम को चाहतां हुं उतनी चाहत नहीं हैं
ये सलाखे हैं अगर तुंम कों वहां रहनां हैं तो
कैद दिल में कर दे तो उस की जमानत नहीं है
- नरेश के. डॉडीया
Labels:
Muktak
No comments:
Post a comment