इक बार उस को मैं मिला तो उस की आदत हो गइ हैं Hindi Gazal By Naresh K. Dodia
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इक बार उस को मैं मिला तो उस की आदत हो गइ हैं Hindi Gazal By Naresh K. Dodia |
इक बार उस को मैं मिला तो उस की आदत हो गइ हैं
ये जिंदगी के खौफ से थोडी सी राहत हो गइ है
मेरे सिने में छूप के रोने की आदत हो गइ है
जैसे कभी मुझ को मिली ना हो वो दावत हो गइ है
जब भी मेरा जी चाहता है इक नजर डालते ही
तस्वीर उस की अब दिवारो की नजाकत हो गइ है
उस की नजाकत के लिए मशहुर थी वो शहर में
मुझ से गले वो क्या मिली तब से कयामत हो गइ है
मेरी घडी भी कहती है जल्दी मिलने जाओ उस को
अब रोज मेरे वक्त की ऐसी हिदायत हो गइ हैं
वो पाक दामन की मीठी खूश्बु से मैं तरबतर हुं
अब हाथ उस का चूमनां मेरी इबादत हो गइ है
जो इश्क करते भी नही ना करने देते किसी को
अब ऐसे लोगो से मुझे जैसे हिकारत हो गइ हैं
मेरी महोतरमा के किस्से गजल में लिखतां हुं तब
लगता है रब की शाइरी में अब इनायत हो गइ है
– नरेश के.डॉडीया
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Hindi Gazals
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