यहां कितने हंसी च्हेरे के बिच भटका नहीं हूं Hindi Gazal By Naresh K. Dodia
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यहां कितने हंसी च्हेरे के बिच भटका नहीं हूं Hindi Gazal By Naresh K. Dodia |
यहां कितने हंसी च्हेरे के बिच भटका नहीं हूं
मैं औरो की तरह इतनां गया गुजरां नहीं हुं
किसी भी वक्त तुंमको मिलने आउंगां कहीं भी
तुम्हारे हाथ से छूंटा हुआं लम्हा नहीं हूं
तुम्हारा हाथ थामां हैं,तुम्हे चाहा है दिल से
मगर दोस्तो के बिच मैं याद भी करतां नहीं हूं
तुम्हारे ही लिए ये शायरी लिखतां हुं सच हैं
मगर ख्यालो मे हीं तेरे कभी उलझा नही हूं
न जाने तुम हमारे साथ में क्यां कयां करोगे
बदलनां हैं अभी बदलो अगर अच्छा नहीं हूं
तुम्हारे काम से मतलब रखो उच्छा हैं इस में
सुलगती आग हुं मैं राख कां मलबां नहीं हूं
तुम्हारी बात से अफसोस है लेकिन जाने दो
मैं शायर हुं किसी अखबार का पन्ना नहीं हूं
महोतरमां तुम्हे चाहा है मतलब ये नहीं हैं
की नखरे सह ले हसते हसतें मै ऐसा नहीं हूं
– नरेश के.डॉडीया
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